कंप्यूटर में SHAREit कैसे डाउनलोड करें

 

कंप्यूटर में SHAREit कैसे डाउनलोड  करें ?

मोबाइल की तरह  Shareit App को भी computer में इस्तेमाल कर आप एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में या फिर मोबाइल से सीधा कंप्यूटर में Files का आदान-प्रदान कर सकते हैं.



  • 1. अपने PC में shareit डाउनलोड करने के लिए कंप्यूटर में किसी भी वेब ब्राउज़र को ओपन करें.
  • 2. अब search bar में shareit for PC लिख कर सर्च करें.
  • 3. आपके सामने कई सारी वेबसाइट Shareit डाउनलोड करने के लिए स्क्रीन पर दिखाई देंगी.
  • 4. आप अपनी मर्जी अनुसार किसी भी साइट पर जाकर अपने PC के लिए Shareit Download कर सकते हैं.
  • 5. और डाउनलोड की गई फाइल पर क्लिक करने के बाद Run बटन पर क्लिक कर Share it ऐप को अपने पीसी में इंस्टॉल कर सकते हैं.

बता दें जिस प्रकार मोबाइल पर Shareit एप का उपयोग किया जाता है उसी तरह आप अपने कंप्यूटर में भी Shareit का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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पर्सनल कम्प्यूटर क्या है ?

 

पर्सनल कम्प्यूटर क्या है ?



पर्सनल कम्प्यूटर व्यक्तिगत उपयोग के लिए छोटा, अपेक्षाकृत कम खर्चीला डिजाइन किया गया कम्प्यूटर है । यह माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी पर आधारित है । व्यापर में इसका उपयोग शब्द संसाधन, लेखांकन, डेस्कटॉप प्रकाशन, स्प्रेडशीट तथा डेटाबेस प्रबंधन आदि के लिए होता है । घर में पर्सनल कम्प्यूटर का उपयोग मनोरंजन के लिए, ई-मेल देखने तथा छोटे-छोटे दस्तावेज तैयार करने के लिए होता है ।
पर्सनल कम्प्यूटर के निम्नलिखित मुख्य भाग है :

  • सी पी यू (CPU)
  • हार्ड डिस्क (Hard Disk)
  • सीडी ड्राइव (CD-Drive)
  • फ्लॉपी ड्राइव(Floppy Drive)
  • मॉनिटर (Monitor)
  • माउस (Mouse)
  • की-बोर्ड (Key Board)
  • यू पि एस (UPS)
  • स्पीकर (Speaker)

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सॉफ्टवेयर क्या है ?

 

सॉफ्टवेयर क्या है ?

सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग भाषा द्वारा लिखे गये निर्देशों की श्रृंखला है, जिसके अनुसार दिए गये डेटा का प्रोसेस होता है । बिना सॉफ्टवेयर के कम्प्यूटर कोई भी कार्य नहीं कर सकता है । इसका प्राथमिक उद्देश्य डाटा को सूचना में परिवर्तित करना है । सॉफ्टवेयर के निर्देशों के अनुसार ही हार्डवेयर भी कार्य करता है । इसे प्रोग्राम भी कहते हैं । हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संचार स्थापित करने को इंटरफेस कहते हैं ।
सभी सॉफ्टवेयर लाइसेंस के माध्यम से संरक्षित तथा प्रतिवेधित रहते हैं । सॉफ्टवेयर लाइसेंस सॉफ्टवेयर के निर्माता तथा उपयोगकर्त्ता के बीच कानूनी एग्रीमेंट है, जिसके अन्तगर्त एक से अधिक कम्प्यूटर पर सॉफ्टवेयर को ईस्टॉल करना, कोड में किसी तरह का रूपान्तरण और सॉफ्टवेयर में किसी तरह का बदलाव करना निषेद्य है । यह सॉफ्टवेयर के उपयोग को प्रतिबंधित करता है ।
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर विभिन्न तरह के होते हैं । सामान्यतः इसे तीन वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है :
  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software)
  2. यह कम्प्यूटर हार्डवेयर को नियंत्रित करता है कि अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर अच्छी तरह से चल सके । जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर, विंडोज सिस्टम आदि ।
  3. अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (Application Software)
  4. यह यूजर को एक या एक से अधिक कोई विशेष कार्य पूरा करने की अनुमति देता है । उच्च स्तरीय की कम्प्यूटर भाषाओं का उपयोग कर अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाये जाते हैं । सॉफ्टवेयर प्रोग्राम अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हुए लिखा जाता है, अतः यूजर आसानी से कम्प्यूटर का उपयोग कर सकता है । जैसे - वर्ड प्रोसेसर, औद्योगिक स्वचालन, व्यापार सॉफ्टवेयर और चिकित्सा सॉफ्टवेयर आदि ।
  5. प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर (Programming Software)
  6. यह आमतौर पर कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के लिए उपकरण प्रदान करता है, जैसे - पाठ संपादक, कम्पाइलर, डि-बगर, इन्टरप्रेटर आदि ।
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एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर क्या है ?

 

एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर क्या है ?




एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) एक ऐसा सॉफ्टवेयर जिसे विशेष उपयोगिताओं के लिए बनाया गया है । एप्लिकेशन प्रोग्राम सामान्य उद्देश्यों के लिए बनाये जाते हैं जैसे की उपज का लेखा-जोखा, सामान्य बिल बुक और खाता-बही बनाना आदि । ये पैकेज बैंकों, अस्पतालों, बीमा कम्पनियों, पब्लिकेशनों आदि के लिए बनाये जाते हैं ।
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है :

  1. विशेष उद्देश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Customized Application Software) :

    ये वे प्रोग्राम है जो कि उपभोक्ता की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष तौर पर बनाये जाते हैं । इन सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि ये उपभोक्ता की सारी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं । इस प्रकार के सॉफ्टवेयरों की मुख्य हानि यह है कि ये सामान्य उद्देशीय सॉफ्टवेयरों की तुलना महँगा होता है ।

  1. सामान्य उद्दश्यीय एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (General Purpose Application Software) :

    ये वे प्रोग्राम हैं जो कि लोगों के सामान्य आवश्यक कार्यों को करने के लिए बनाये जाते हैं । प्रत्येक प्रोग्राम इस ढंग से लिखा जाता है कि वह बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं पर लागू हो । इस सॉफ्टवेयर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह सस्ता होता है । लेकिन इसकी एक बड़ी हानि यह है कि ये उपभोक्ताओं की सभी जरूरतों को पूरा नहीं करता ।
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UPS क्या है ?

 

UPS क्या है ?


UPS का पूरा नाम Uninterruptible Power Supply है । यह बैटरी से संचालित उपकरण है जिसके द्वारा कम्प्यूटर में अनवरत विद्युत आपूर्ति बनी रहती है । यह कंप्यूटर को तब पॉवर देता है जब अचानक मुख्य सप्लाई से पॉवर कट जाती है ।

यूपीएस के अन्दर एक बैटरी लगी होती है जो की 20-40 मिनट तक पॉवर दे सकती है । इससे हमें यह लाभ होता है कि जब मुख्य सप्लाई से पॉवर आनी बन्द हो जाती है उस समय हम कंप्यूटर को ढंग से बन्द कर सकते हैं ।
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CPU क्या है ?

 

CPU क्या है ?

CPU का पूरा नाम Central Processing Unit है । इसे प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर भी कहता हैं । यह पीसी से जुड़े विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित करता है । यह कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है । यह एक इलेक्ट्रॉनिक माइक्रोचिप है जो डेटा को इनफॉर्मेशन में बदलते हुए प्रोसेस करता है । इसे कम्प्यूटर का ब्रेन कहा जाता है । यह कम्प्यूटर सिस्टम के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा यह इनपुट को आउटपुट में रूपान्तरित करता है । यह इनपुट तथा आउटपुट यूनिट से मिलकर पूरा कम्प्यूटर सिस्टम बनाता है ।
इसके निम्नलिखित भाग है :-
  • अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) :-
  • इसका उपयोग अंकगणितीय तथा तार्किक गणना में होता है । अंकगणितीय गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना के अन्तगर्त जोड़, घटाव, गुणा और भाग इत्यादि तथा तार्किक गणना के अन्तगर्त तुलनात्मक गणना जैसे (<, > या =), हाँ या ना इत्यादि आते हैं ।
  • कंट्रोल यूनिट (Control Unit) :-
  • यह कम्प्यूटर के सारे कार्यों को नियंत्रित करता है तथा कम्प्यूटर के सारे भागों जैसे इनपुट, आउटपुट डिवाइसेज, प्रोसेसर इत्यादि के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाता है ।
  • मेमोरी यूनिट (Memory Unit) :-
  • यह डेटा तथा निर्देशों के संग्रह करने में प्रयुक्त होता है । इसे मुख्यतः दो वर्गों प्राइमरी तथा सेकेंडरी मेमोरी में विभाजित करते हैं । जब कम्प्यूटर कार्यशील रहता है, अर्थात वर्तमान में उपयोग हो रहे डेटा तथा निर्देशों का संग्रह प्राइमरी मेमोरी में होता है । सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग बाद में उपयोग होने वाले डेटा तथा निर्देशों को संग्रहित करने में होता है ।
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ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

 

ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है ?

ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System)एक ऐसा प्रोग्राम है जो कम्प्यूटर के हार्डवेयर और उपभोक्ता के बीच माध्यम का काम करता है । ऑपरेटिंग सिस्टम का प्राथमिक लक्ष्य कम्प्यूटर सिस्टम को प्रयोग के लिए सुविधाजनक बनाना है और इसका द्वितीय लक्ष्य कम्प्यूटर हार्डवेयर को सुचारू रूप से चलाना है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोग्रामों का एक सेट है जो कम्प्यूटर के संसाधनों को प्रबंधित करने के लिए डिजाइन किया गया है और जिसमें कम्प्यूटर को शुरू करना, प्रोग्रामों को मैनेज करना, मेमोरी को मैनेज करना और इनपुट तथा आउटपुट डिवाइसों के बीच के कार्यों का समन्वय करना शामिल है ।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार :
  • एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम (Single User Operating System) :
  • एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जो केवल एक उपभोक्ता को एक ही समय में कार्य करने की अनुमति देता है । एम. एस. डॉस सबसे अधिक प्रचलित एकाकी उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम है ।
  • मल्टी-यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम (Multi-User Operating System) :
  • बड़ा कम्प्यूटर अधिक कार्यकुशलता से उपयोग किया जा सकता है, यदि एक ही समय पर बहुत से उपभोक्ता इस पर काम करें । ऐसा लोकल एरिया नेटवर्क के तहत टाइम शेयरिंग मोड़ (Time Sharing Mode) में ही सम्भव है । इन बहु-उपभोक्तओं के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम प्रत्येक उपभोक्ता को एक निश्चित समय बाँटता है और इस बात पर भी कड़ी मेहनत करता है कि आउटपुट उपकरणों को जाने वाले नतीजे आपस में मिल न जाए । युनिक्स (Unix), विंडोज 98 आदि कुछ बहु-उपभोक्ता ऑपरेटिंग सिस्टम हैं 
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मेमोरी क्या है ?

 

मेमोरी क्या है ?

मेमोरी कम्प्यूटर का बुनियादी घटक है । यह कम्प्यूटर का आंतरिक भंडारण क्षेत्र है । केन्द्रीय प्रोसेसिंग इकाई (CPU) को प्रोसेस करने के लिए इनपुट डाटा एवं निर्देश चाहिए, जो की मेमोरी में संग्रहित रहता है । मेमोरी में ही संग्रहित तथा निर्देश का प्रोसेस होता है, तथा आउटपुट प्राप्त होता है । अतः मेमोरी कम्प्यूटर का एक आवश्यक अंग है ।
मेमोरी बहुत सारे सेल में बँटे होते है जिन्हें लोकेशन कहते हैं । हर लोकेशन का एक अलग लेबल होता है जिसे एड्रेस कहते हैं ।
मेमोरी दो प्रकार के होते हैं :
  1. प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) :
  2. प्राथमिक मेमोरी को अक्सर मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, जो कम्प्यूटर के अन्दर रहता है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है ।
  3. सहायक मेमोरी (Secondary Memory) :
  4. इसे सहायक तथा बैंकिंग स्टोरेज मेमोरी भी कहते हैं । चँकि मुख्य मेमोरी अस्थाई तथा सीमित क्षमता वाले होते हैं इसलिए द्वितीयक मेमोरी को बड़ी मात्रा में स्थायी डेटा मेमोरी के रूप में इस्तेमाल करते हैं । ज्यादातर इसका उपयोग डेटा बैकअप के लिए किया जाता है । CPU को वर्तमान में जिस डेटा की आवश्यकता नहीं होती है उसे द्वितीयक मेमोरी में संग्रह किया जाता है 
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इन्टरनेट क्या है ?

 

इन्टरनेट क्या है ?


इन्टरनेट का मतलब उच्चस्तरीय कम्प्यूटर का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ाव है । ये जुड़ाव नेटवर्क केबलों, टेलीफोन केबलों, माइक्रोवेव डिश, सैटेलाइट और अन्य प्रकार के आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के द्वारा सम्भव किया जाता है । इन्टरनेट विश्व के विभिन्न नेटवर्कों से सम्बन्ध रखने वालों हजारों कम्प्यूटर का एक जुड़ाव है । इससे नेटवर्किंग के माध्यम से विश्व में किसी भी जगह से विभिन्न प्रकार की सूचनाओं में भागीदारी की जा सकती है ।
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नेटवर्क क्या है ?

 

नेटवर्क क्या है ?

नेटवर्क आपस में एक दूसरे से जुड़े कंप्यूटरों का समूह है जो एक दूसरे से संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों को साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं । किसी भी नेटवर्क को स्थापित करने के लिए प्रेषक, प्राप्तकर्ता, माध्यम तथा प्रोटोकॉल की आवश्यकता होती है । कम्प्यूटर के साधनों में भागीदारी करने के उद्देश्य से बहुत-से कंप्यूटरों का आपस में जुड़ना कम्प्यूटर नेटवर्किंग कहलाता है । कम्प्यूटर नेटवर्किंग की मदद से उपभोक्ता उपकरणों, प्रोग्रामों, संदेशों और सूचनाओं को एक ही जगह पर रहकर उनके साथ भागीदारी कर सकते हैं ।
नेटवर्क स्थापित करने के लिए मुख्य उपकरण निम्नलिखित है :
  • रिपीटर्स (Repeaters)
  • हब (Hub)
  • स्विच (Switches)
  • राउटर्स (Routers)
  • गेटवे (Gateways)
नेटवर्क के निम्नलिखित प्रकार हैं :
  1. लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN) :-
  2. यह एक कम्प्यूटर नेटवर्क है, जिसके अन्दर छोटे भौगोलिक क्षेत्र जैसे - घर, ऑफिस, भवनों का एक छोटा समूह या हवाई अड्डा आदि में कम्प्यूटर नेटवर्क है । वर्तमान लैन ईथरनेट तकनीकी पर आधारित है । इस नेटवर्क का आकर छोटा, लेकिन डेटा संचारण की गति तीव्र होती है ।
  3. वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network-WAN) :-
  4. इस नेटवर्क में कम्प्यूटर आपस में लीज्ड लाइन या स्विचड सर्किट के द्वारा जुड़े रहते हैं । यह नेटवर्क व्यापक भौगोलिक क्षेत्र देश, महादेश में फैला नेटवर्क का जाल है । इन्टरनेट इसका अच्छा उदाहरण है । भारत में CMC द्वारा विकसित इंडोनेट वैन का उदाहरण है । बैंकों द्वारा प्रदत्त ATM सुविधा वाइड एरिया नेटवर्क का उदाहरण है ।
  5. मेट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network-MAN) :-
  6. MAN दो या दो से अधिक लोकल एरिया नेटवर्क को जोड़ता है । यह शहर की सीमाओं के भीतर स्थित कंप्यूटरों का नेटवर्क है । राउटर्स, स्विच और हब्स मिलकर एक MAN का निर्माण करते हैं ।

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नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है ?

 

नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है ?

नेटवर्क टोपोलॉजी विभिन्न नोड्स या टर्मिनल को आपस में जोड़ने का तरीका है । यह विभिन्न नोड्स के बीच भौतिक संरचना को दर्शाता है । नेटवर्क संरचना का अर्थ है कि नेटवर्क तारों की तर्कपूर्ण व्यवस्था । अन्य शब्दों में, कम्प्यूटरों का आपस में जुड़ने का ढंग ही नेटवर्क टोपोलॉजी कहलाता है ।
नेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :
  • मेस टोपोलॉजी (Mesh Topology) :
  • यह नेटवर्क उच्च ट्राफीक स्थिति में मार्ग (Routes) को ध्यान में रखकर उपयोग किया जाता है । इसमें किसी भी स्त्रोत (Source) से कई मार्गों से सन्देश भेजा जा सकता है । पूर्णतः इन्टरकनेक्टेड मेस नेटवर्क खर्चीला है, क्योंकि इसमें ज्यादा केबल (Cable) तथा नोड में इंटेलिजेंस की आवश्यकता होती है । इस नेटवर्क में उच्च सुरक्षा अनुप्रयोग में डाटा प्रेषित किया जाता है ।
  • स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) :
  • इस नेटवर्क में एक केन्द्रीय नोड होता है जो इंटेलिजेंस से युक्त होता है । बाकि नोड्स इससे जुड़े रहते हैं । इस केन्द्रीय नोड को हब कहते हैं । कोई एक केबल में कोई कठिनाई आने पर एक ही नोड विफल होता है परन्तु अगर हब में कोई कठिनाई आती है तो सारा नेटवर्क विफल होता है ।
  • रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) :
  • इस नेटवर्क में सभी नोड्स में समान रूप से इंटेलिजेंस होता है । डेटा का प्रवाह हमेशा एक ही दिशा में होता है परन्तु किसी भी एक केबल या नोड में कठिनाई आने पर दूसरे से संचार संभव है ।
  • बस टोपोलॉजी (Bus Topology) :
  • इस नेटवर्क में सभी नोड्स एक ही केवल में जुड़े रहते हैं । कोई भी नोड किसी दूसरे नोड को डेटा प्रेषित करना चाहता है तो उसे देखना होता है की बस में कोई डेटा प्रवाहित तो नहीं हो रहा है । बस खाली रहने पर नोड डेटा प्रेषित कर सकता है । इसमें कम केबल की आवश्यकता होती है तथा नया नोड जोड़ना आसान होता है । परन्तु प्रमुख ट्रांसमिशन लाइन में कठिनाई आने पर सारा नेटवर्क विफल हो जाता है ।
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वेब ब्राऊजर क्या है ?

 

वेब ब्राऊजर क्या है ?


वेब एक विशाल पुस्तक की तरह है तथा वेब ब्राऊजर एक सॉफ्टवेयर है जो कम्प्यूटर को इंटरनेट से जोड़ता है । यह बहुत ही महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर है । ब्राऊजर वर्ड वाइड वेब पर साइट देखने का एक सामान्य साधन है । इन सॉफ्टवेयर का उपयोग कर हमलोग इंटरनेट से जुड़ने में सक्षम होते हैं, तथा वेब से अपने पसंद की जानकारियों को प्राप्त कर सकते हैं । यह अनेक कार्यों को जैसे की ई-मेल, खबरें, इंटरनेट से बात करना, वार्तालाप, मल्टीमीडिया आदि को नियंत्रित करता है ।
ब्राऊजर भी एक वेब ग्राहक माना जाता है क्योंकि क्लाइन्ट मॉडल में यह क्लाइन्ट प्रोग्राम की तरह कार्य करता है । ब्राउजर वेब सर्वर से सम्पर्क बनाता है और सूचनाओं के लिए निवेदन करता है ।
वेब ब्राऊजर का उपयोग कर हमलोग किसी विशेष पेज या लोकेशन पर उसके पता टाइप कर जा सकते हैं, इस पता को यूआरएल कहते हैं ।
कुछ प्रमुख वेब ब्राऊजर निम्नलिखित है :-

  • नेटस्केप नेविगेटर (Netscape Navigator)
  • माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर (Microsoft Internet Explorer)
  • मौजिला फायरफॉक्स (Mosilla Firefox)
  • NCSA मॉजैक (NCSA Mosaic)
  • ओपेरा (Opera)
  • सफारी (Safari)
  • क्रोम (Chrome)

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